#बिल_को_जानो: नए बिल से पहले आया था ‘मॉडल’ APMC एक्ट, पर किसान कि चिंता है किसे !
#बिल_को_जानो: कृषि कानूनों पर चल रहे झूठ-सच की सही तस्वीर…बस एक क्लिक दूर

नई दिल्ली: केंद्र सरकार की ओर से लागू किए गए तीन कृषि बिलों को लेकर काफी बवाल चल रहा है. किसान यूनियनें अपना पक्ष रख रही हैं जबकि केंद्र सरकार अपनी दलीलों को लेकर लोगों के सामने है. दोनों पक्षों के बीच लंबे समय से रस्साकशी चल रही है.
इस बीच कई झूठ भी सोशल मीडिया के जरिए फैलाए जा रहे हैं. किसान रिपोर्टर की यह कोशिश है कि लोगों को सच से वाकिफ कराया जाए. इसी सिलसिले में #बिलकोजानो अभियान शुरू किया गया है. यह बिल्कुल तथ्यों पर आधारित है और निष्पक्षता के साथ देश के किसानों के लिए है.
झूठ: न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी या MSP) खत्म जाएगा.
सच: एमएसपी सिस्टम जारी है, जारी रहेगा. इस पर कोई रोक का प्रावधान नहीं है
झूठ: एपीएमसी मंडियां खत्म कर दी जाएंगी.
सच: एपीएमसी मंडी सिस्टम जैसा चल रहा था वैसा ही चलता रहेगा
झूठ: किसानों की जमीन पर कार्पोरेट का कब्जा हो जाएगा
सच: करार सिर्फ फसलों के लिए होगा, जमीन के लिए नहीं. सेल, लीज और गिरवी समेत जमीन के किसी भी तरह के हस्तांतरण का कांट्रैक्ट नहीं होगा.
झूठ: किसी भी प्रकार के बकाये के बदले कंपनियां किसानों की जमीन हथिया सकती हैं
सच: परिस्थितियां चाहे जो भी हो, किसानों की जमीन सुरक्षित है. किसान कभी भी एडवांस की रकम लौटाकर करार तोड़ सकता है
झूठ: कॉन्ट्रेक्ट फर्मिंग के मामले में किसानों को फसल के मूल्यों की गारंटी नहीं है
सच: फर्मिंग एग्रिमेंट में कृषि उपज का खरीद मूल्य तय होगा. साथ ही किसान अपने हिसाब से इसे तय कर सकता है
झूठ- किसानों को भुगतान कंपनियां फंसा सकती हैं.
सच- किसानों का भुगतान करार के अनुसार तय समय सीमा के अंदर ही करना होगा. ऐसा नहीं करने पर कंपनियों या स्पांसर्स को जुर्माना देना होगा
झूठ – किसान करार खत्म नहीं कर सकते हैं
सच- किसान किसी भी समय बिना किसी शर्त के करार खत्म कर सकते हैं. यदि एडवांस लिया है तो उसे लौटाकर करार खत्म हो जाएगा
झूठ- पहले कभी कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की कोशिश देश में नहीं हुई
सच- कई राज्यों ने कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग मंजूरी दे रखी है. इस संबंध में राज्य स्तर पर कानून भी बनाए गए हैं
झूठ- इन कानूनों को लेकर किसान यूनियनों या किसानों से कोई सलाह नहीं की गई
सच- दो दशकों से इन कृषि कानूनों पर विचार चल रहा है. सन 2000 में शंकरलाल कमेटी में इसकी शुरूआत हुई थी. इसके बाद 2003 में मॉडल एपीएमसी एक्ट, 2007 में एपीएमसी रूल. 2010 में हरियाणा, पंजाब, बिहार एवं पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्रियों की समिति व 2013 में 10 राज्यों के कृषि मंत्रियों संस्तुति, 2017 का मॉडल एपीएलएम एक्ट और आखिरकार 2020 में संसद द्वारा इन कानूनों की मंजूरी है.