#बिल_को_जानो: नए बिल से पहले आया था ‘मॉडल’ APMC एक्ट, पर किसान कि चिंता है किसे !
इजराइल से सीखा ‘जादू’, रेतीली जमीन लहलहा गई

नई दिल्ली: आज हम एक ऐसे किसान की बात करने जा रहे हैं जो बनना तो चाहते थे पायलट पर करने लगे खेती. रन-वे से भले ही वह खेतों तक पहुंच गए हों लेकिन उनकी उड़ान देख आप भी कहेंगे वाह ! गुजरात के ईश्वर पिंडोरिया ने कमाल ही ऐसा किया है. पहले इजराइल में नई तकनीकि का अध्ययन किया, उसे भुज जैसे स्थान पर लागू किया और अब वहां फसल लहलहा रही है जहां कभी रेत उड़ा करती थी.
ईश्वर साल 2006 से 40 एकड़ जमीन पर खजूर, अनार और आम की उगा रहे हैं. उन्होंने अपने खेतों में इजराइल की कृषि तकनीकों का इस्तेमाल किया है. इलाके के लोगों के लिए यह किसी जादू से कम नहीं. इजराइल खेती के आधुनिक तौर-तरीकों का ‘मक्का’ कहा जाता है. ईश्वर ने पहले ही तय कर लिया था कि वह पारंपरिक खेती नहीं करेंगे. इसीलिए उन्होंने इजरायल से तकनीकि सीखने का मन बनाया था.
उन्होंने बताया कि वे शुरूआत में खजूर के पौधे वहां से लेकर आए थे जो रेतीली जमीन पर आसानी से उग सकते थे. साथ ही अच्छे फल दे सकते थे. वर्तमान समय में ईश्वर खजूर की अलग-अलग किस्में उगा रहे हैं. इसके साथ ही आम और अनार की किस्में भी इनके फार्म में हैं.
ईश्वर अपने खेतों में ड्रिप-इरीगेशन सिस्टम, कैनोपी मैनेजमेंट, बंच मैनेजमेंट, पोस्ट-हार्वेस्ट मैनेजमेंट (ग्रेडिंग, पैकेजिंग), पेस्ट मैनेजमेंट और मिट्टी के न्यूट्रीशन मैनेजमेंट तकनीकों का प्रयोग कर रहे हैं. अलग-अलग तकनीकों का इस्तेमाल कर वे 60% कम पानी में काम चलाते हैं. यानी जहां एक लीटर पानी की जरूरत हो वहां वे 4 सौ मीलीलिटर में ही काम चला लेते हैं.

उन्होंने अपनी खुद की कोल्ड स्टोरेज यूनिट भी लगाई हुई है. उनके यहां के फल भारत के सभी बड़े शहरों और विदेशों तक पहुंच रहे हैं. वे बताते हैं कि जर्मनी में उनके फलों की अच्छी मांग आ रही है. बरही किस्म और लोकल कलर्ड जैसे खजूरों को वे उगाते हैं. एक पेड़ से वे एक सीजन में दो सौ किलो खजूर प्राप्त करते हैं.